रणथंबोर का चौहान वंश : महत्वपूर्ण प्रश्नावली ranthambore ke chauhan vansh mcq
ranthambore ke chauhan vansh mcq
14. रणथम्भौर का चौहान वंश का संस्थापक था?
(A) हम्मीर देव चौहान
(B) वीर नारायण
(C) गोविंदराज
(D) वाल्हण
(C)
स्पष्टीकरण
रणथम्भौर के चौहान वंश का संस्थापक गोविन्दराज (1194) ई.) पृथ्वीराज तृतीय का पुत्र था।
गोविंदराज के उत्तराधिकारी क्रमशः वाल्हण, प्रल्हादन तथा वीर नारायण थे।
वीर नारायण सल्तनतकाल के शासक इल्तुतमिश से संघर्ष करता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ।
वीर नारायण का उत्तराधिकारी वाग्भट्ट हुआ। वाग्भट्ट के पुत्र जैत्रात्रिन्हा ने रणथंभौर पर सुल्तान नसीरुद्दीन के आक्रमण को विफल कर दिया।
वाग्भट्ट के उत्तराधिकारी जयसिंह ने परमारों तथा तुर्कों के साथ संघर्ष किया।
15. हम्मीर देव चौहान ने मेवाड़ के किस शासक को परास्त किया
(A) कुंभा
(B) समर सिंह
(C) अर्जुन
(D) सांगा
(B)
स्पष्टीकरण
हम्मीर देव चौहान (1282-1301 ई.) जैत्रसिंह का तीसरा पुत्र था।
हम्मीर ने 17 युद्ध किये, जिनमें से 16 में वह विजयी रहा था।
हम्मीर चौहान (रणथम्भौर का शासक) ने भीमरस, धारा, मेवाड़, आबू, वर्धनपुर (काठियावाड़), पुष्कर, चम्पा, त्रिभुवन गिरि आदि राज्यों को परास्त किया।
हम्मीर ने दिग्विजय की नीति अपनाकर भीमरस के शासक अर्जुन तथा परमार शासक भोज को परास्त किया।
हम्मीर ने मेवाड़ के शासक समरसिंह को भी पराजित किया।
हम्मीर ने कोटियज्ञ का आयोजन किया।
राघवदेव हम्मीर का गुरु था तथा वियादित्य उसके राज्य का प्रसिद्ध कवि था।
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16. रणथम्भौर पर जलालुद्दीन खिलजी ने आक्रमण कब किया?
(A) 1291 ई.
(B) 1301 ई.
(C) 1300 ई.
(D) 1303 ई.
(A)
स्पष्टीकरण
1290-91 ई. में जलालुद्दीन खिलजी ने झाईन के दुर्ग को जीत लिया। झाईन का दुर्ग रणथम्भौर के दुर्ग की कुँजी कहलाता था।
इसामी के अनुसार झाँइन दुर्ग पर अधिकार कर उलूग खाँ ने झाँइन दुर्ग का नाम बदलकर नौ शहर कर दिया।
• इसके बाद 1291-92 ई. में जलालुद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया, परन्तु उसे सफलता नहीं मिली।
इस अभियान के दौरान जलालुद्दीन ने यह कहते हुए घेरा हटा लिया कि “मैं ऐसे सैकड़ो किलों को भी मुसलमान के एक बाल के बराबर महत्व नहीं देता।”
हम्मीर की सेना का नेतृत्व गुरुदास सैनी ने किया परंतु वह जलालुद्दीन के इस आक्रमण में मारा गया।
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17. हम्मीर ने किन मंगोल विद्रोहियों को अलाउद्दीन खिलजी के विरूद्ध शरण दी?
(A) मुहम्मद शाह व कहब्रू
(B) अल्पत खाँ व नूसरत खाँ
(C) उलुग खाँ व अल्पत खाँ
(D) कहब्रू व नूसरत खाँ
(A)
स्पष्टीकरण
हम्मीर द्वारा मंगोल विद्रोहियों (मुहम्मदशाह व केहब्रू) को शरण देने से सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी हम्मीर से नाराज हो गया।
हम्मीर ने जब विद्रोहियों को लौटाने से इंकार कर दिया तब 1299 ई. में उसे खिलजी के आक्रमण का सामना करना पड़ा। लेकिन खिलजी सेना असफल रही। इस खिलजी सेना के सेनापति उलूगखाँ, नुसरत खाँ व अल्पत खाँ थे जबकि हम्मीर के सेनापति भीमसिंह व धर्मसिंह थे।
बनास नदी के तट पर हुए हिंदुत्राट घाटी के संघर्ष में भीमसिंह वीरगति को प्राप्त हुआ।
हम्मीर ने भीमसिंह की मौत का उत्तरदायी धर्मसिंह को ठहराकर उसे अंधा कर दिया तथा उसके पद पर धर्मसिंह के भाई भोज को नियुक्त किया।
भोज द्वारा राज्य के कार्य को ठीक से नहीं संभाल पाने के कारण हम्मीर ने भोज को पदच्युत कर दिया तथा धर्मसिंह को पुनः राज्य का सर्वेसर्वा बना दिया।
भोज अपने भाई पृथ्वीराज के साथ अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में चला गया जहां खिलजी ने उसे जगरा की जागीर प्रदान की।
रणथम्भौर दुर्ग की घेराबंदी के दौरान शाही सेना का सिपहसलार नुसरतखाँ घायल हो गया जिसकी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद उलूग खाँ को पिछे हटना पड़ा।
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18. अलाउद्दीन खिलजी स्वयं रणथम्भौर कब आया ?
(A) 1301 ई.
(B) 1298 ई.
(C) 1305 ई.
(D) 1308 ई.
(A)
स्पष्टीकरण
अलुगखाँ की असफलता के बाद अलाउद्दीन खिलजी स्वयं 1301 ई. में रणथम्भौर आया।
खिलजी ने हम्मीर के सेनानायक रणमल व रतिपाल को किले का लालच देकर अपनी ओर मिला लिया।
इस युद्ध में हम्मीर लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ तथा किले में हम्मीर की पुत्री देवलदी ने पदमतला तालाब में कूदकर जल जौहर किया तथा हम्मीर की पत्नी रंगदेवी के नेतृत्व में जौहर हुआ।
इस घटना को राजस्थान का पहला जौहर या पहला शाका कहा जाता है।
11 जुलाई 1301 ई. में रणथम्भौर दुर्ग पर तुर्कों का अधिकार हो गया।
अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर दुर्ग को उलुगखाँ को सौंपा।
अलाउद्दीन खिलजी तथा हम्मीर के मध्य हुए युद्ध का आँखों देखा वर्णन अमीर खुसरो कृत खजाईन-उल-फुतुह में मिलता है।
सुल्तान ने इस आक्रमण में पाशेब, मगरबी व अर्रादा की
सहायता ली। नयनचन्द्र सूरी की रचना हम्मीर महाकाव्य, भाउण्ड व्यास/भाण्ड व्यास रचित हम्मीरायण, जोधराज रचित हम्मीर रासो, अमृत कैलाश रचित हम्मीर बंधन तथा चन्द्रशेखर रचित हम्मीर हठ नामक ग्रंथों की रचना हम्मीर चौहान को नायक बनाकर की गई है।
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