स्थापना का इतिहास : संयुक्त राष्ट्र संघ
• पूर्ववर्ती संस्था :- संयुक्त राष्ट्र संघ की पूर्ववर्ती संस्था लीग ऑफ नेशंस थी जिसकी स्थापना प्रथम विश्व युद्ध के बाद सन् 1919 में वर्साय की संधि के तहत् ‘अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए’ की गयी थी। यह संगठन दूसरा विश्व युद्ध नहीं रोक सकता था। अतः संयुक्त राष्ट्र संघ बनने के बाद 20 अप्रैल, 1946 को इसका अस्तित्व समाप्त हो गया।
• सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन :- जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने वाला था तब 25 अप्रैल से 26 जून, 1945 तक सैन फ्रांसिस्को, कैलिफॉर्निया में अन्तर्राष्ट्रीय संगठन हेतु संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में 50 देशों के प्रतिनिधि एकत्र हुए। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र चार्टर (UN Charter) नामक मसौदा तैयार हुआ जिस पर 50 देशों ने हस्ताक्षर किए। इसी चार्टर के द्वारा 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया।
नोट :-
1. संयुक्त राष्ट्र संघ में 51 मूल संस्थापक सदस्य थे। संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर 50 देशों ने हस्ताक्षर किए वहीं 15 अक्टूबर को पोलैंड ने हस्ताक्षर किए।
2. भारत ’30 अक्टूबर, 1945′ को संयुक्त राष्ट्र संघ में शामिल हुआ।
संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थापना से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ :
• अगस्त 1941 :- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल तथा अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट द्वारा अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किए गये।
• दिसम्बर 1943 :- 26 मित्र राष्ट्र जनवरी, 1942 में अटलांटिक चार्टर के समर्थन में वाशिंगटन में मिले और दिसम्बर, 1943 में संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा पर हस्ताक्षर हुए।
• फरवरी 1945 :- रूजवेल्ट, चर्चिल और स्टालिन ने याल्टा
• सम्मेलन में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय संगठन के बारे में संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक सम्मेलन करने का निर्णय किया।
• ‘संयुक्त राष्ट्र (United Nations)’ नाम संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट द्वारा दिया गया था।
अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ :
• वर्ष 1899 में हेग (Hague) में अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिप्रद निपटान के लिये एक कन्वेंशन को अपनाया गया एवं वर्ष 1902 में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय की स्थापना की गयी। यह संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की पूर्ववर्ती संस्था थी।
• वर्ष 1919 में वर्साय की संधि के तहत् अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना राष्ट्र संघ की एक संबद्ध एजेंसी के रूप में की गयी थी।
संयुक्त राष्ट्र के लक्षण (Objective of UNO) :
• विश्व को युद्ध की विभिषिका से बचाना।
• मानव के मूल अधिकारों पुरुष, स्त्री तथा छोटे-बड़े राष्ट्रों सभी के लिए समान अधिकार स्थापित करना।
• परस्पर राष्ट्रों के मध्य होने वाली संधियों द्वारा लगाए बन्धनों के प्रति आदर तथा न्याय बनाए रखना।
• सभी की सामाजिक उन्नति तथा लोगों को बेहतर जीवन स्तर प्रदान करना।
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य (Aims of UNO) :
• अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा बनाए रखना।
• संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के पहले अध्याय के पहले अनुच्छेद में संयुक्त राष्ट्र के निम्नलिखित उद्देश्य बताए गये हैं-
• आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय, किसी भी प्रकार की अन्तर्राष्ट्रीय समस्या को सुलझाना।
• समान अधिकारों के लिए आदर एवं मित्रतापूर्ण सम्बन्ध कायम करना।
• उपर्युक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य को सुव्यवस्थित करने का केन्द्र बनना ।
संयुक्त राष्ट्र के सिद्धान्त (Principles of UNO) :
• संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शन के सात सिद्धांत हैं-
1. सभी सदस्यों की प्रभुसत्ता का सम्मान।
2. सदस्यों को चार्टर के अनुसार लगाए गए प्रतिबन्धों का अपनी इच्छा के अनुसार पालन करना होता है।
3. जो राज्य इसके सदस्य नहीं है वे भी संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धान्तों के अनुसार कार्य करें।
4. झगड़ों का निपटारा शान्तिपूर्वक करेंगे।
5. राज्यों की भू-अखण्डता के विरुद्ध धमकी या बल प्रयोग से परहेज पर बल।
6. सभी सदस्य संयुक्त राष्ट्र संघ को हर प्रकार से सहायता देंगे।
7. संयुक्त राष्ट्र संघ किसी भी राज्य के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता (Membership of UNO) :
• संयुक्त राष्ट्र के दो प्रकार के सदस्य हैं-
1. वे सदस्य जो प्रारम्भ में ही संयुक्त राष्ट्र में शामिल हो गए थे तथा जिन्होंने सान-फ्रांसिस्को सम्मेलन में भाग लिया था, संयुक्त राष्ट्र के मूलतः 51 सदस्य थे।
2. वे सदस्य जो संयुक्त राष्ट्र संघ में बाद में शामिल हुए।
• संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी भी देश को सदस्यता सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा दी जाती है। यदि कोई राज्य संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों का बार-बार उल्लंघन करता है तो सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर उसे महासभा द्वारा निकाला भी जा सकता है।
• वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के कुल 193 सदस्य देश है। 193वाँ सदस्य दक्षिण सूडान 2011 में बना।
संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंग :
• वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय निम्न 6 अंगों की स्थापना की गयी थी-
1. संयुक्त राष्ट्र महासभा
2. सुरक्षा परिषद
3. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद्
4. संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद्
5. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय
6. संयुक्त राष्ट्र सचिवालय
संयुक्त राष्ट्र महासभा :
• महासभा को ‘सारे विश्व की नगर बैठक’ कहा जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य महासभा के सदस्य होते हैं। कोई भी सदस्य राष्ट्र महासभा में 5 से अधिक प्रतिनिधि नहीं भेज सकता और प्रत्येक राज्य का महासभा में केवल एक ही मत होता है।
• वास्तव में, यह महासभा कोई भी समस्या रखने तथा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाला एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच है।
महासभा की शक्तियाँ एवं कार्य-
• महासभा के कार्यों को पाँच श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
1. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा से सम्बन्धित मामलों पर विचार- विमर्श करना।
2. निरीक्षण कार्य करना।
3. बजट पास करना।
4. चुनाव सम्बन्धी कार्य करना।
5. UNO चार्टर में संशोधन करना जो कि दो-तिहाई बहुमत से होता है, जिसमें सुरक्षा परिषद् की सहमति आवश्यक है।
6. सुरक्षा परिषद् के 10 अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन करना।
7. महासचिव का चुनाव व अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश का चुनाव करना।
महासभा का संगठन-
• महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ की शीर्ष संस्था है।
• महासभा एक वर्ष के लिए अपना सभापति चुनती है। वह गोपनीय मत द्वारा चुना जाता है। बैल्जियम के मि. पॉल स्पूक महासभा के प्रथम सभापति थे तथा उन्होंने 10 जनवरी, 1946 को महासभा की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की थी। सामान्यतः अध्यक्ष किसी छोटे राष्ट्र से ही लिया जाता है। अध्यक्ष की सहायता के लिए महासभा में चीफ डि-कैबिनेट होता है। यह व्यक्ति महासभा के अफसरों का अवसर सचिव होता है। महासभा के 17 उपाध्यक्ष होते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 17 उपाध्यक्षों तथा 7 स्थाई समितियों के सभापतियों को मिला कर एक महासमिति भी होती हैं।
महासभा के सत्र-
• महासभा की बैठक सितम्बर के तीसरे मंगलवार को नियमित रूप से होती है। सुरक्षा परिषद् के महासभा या संयुक्त राष्ट्र के बहुमत सदस्यों की प्रार्थना पर इसका विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है। महासभा का सभापति यद्यपि एक वर्ष के लिए चुना जाता है किन्तु यदि विशेष सत्र बुलाया गया है तो फिर हर सत्र के लिए अपना अध्यक्ष चुनती है।
• शाँति के लिए एकता प्रस्ताव/एचेसन प्रस्ताव- यह सबसे पहले 1950 में कोरिया युद्ध के कारण लाया गया था। यह प्रस्ताव तब लाया जाता है जब सुरक्षा परिषद् वीटो पॉवर के कारण शांति निर्माण में असफल हो जाती है।
• इस प्रस्ताव के बाद 24 घंटे में महासभा की विशेष बैठक हो सकती है तथा महासभा 2/3 बहुमत से विश्व शांति हेतु उपयुक्त निर्णय ले सकती है, जिसको सुरक्षा परिषद् भी मानने हेतु बाध्य होती है।
• लघु एसेम्बली – 1947 में बनी थी, हमेशा सक्रिय रहती है। यह महासभा का आपात अधिवेशन बुला सकती है। 1952 के बाद निष्क्रिय है।
सुरक्षा – परिषद
• सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र की कार्यकारिणी समिति है। डेविड कुशमेन ने इसे दुनिया का पुलिसमेन कहा है।
• इसका मुख्य उत्तरदायित्व अन्तर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा बनाए रखना है।
गठन-
• इसमें कुल 15 सदस्य होते हैं, जिनमें पाँच स्थायी सदस्य हैं क्रमशः रूस, अमेरिका, UK, फ्रांस, चीन तथा 10 अस्थायी सदस्य होते हैं।
• अस्थायी सदस्यों का चयन महासभा द्वारा 2/3 बहुमत से प्रति दो वर्ष के लिए होता है। तत्काल बाद सदस्यों को पुनः सदस्यता नहीं मिलती है।
• भारत 8 बार अस्थायी सदस्य रह चुका है। प्रथम बार 1950 व 1951 में तथा आठवीं बार 2021-22 के लिए।
• सुरक्षा समिति के सदस्यों का चयन करते समय महासभा भौगोलिक परिस्थितियों को भी ध्यान में रखती है।
• सुरक्षा परिषद् में सदस्यता प्रदान करते समय महासभा अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा में उस राष्ट्र के योगदान को भी ध्यान में रखती है।
पक्तियाँ एवं कार्य
1. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा से सम्बन्धित निर्णय लेने की शक्तियाँ
2. अपने निर्णयों के निशस्त्र क्रियान्वयन की शक्तियाँ
3. नए सदस्य, महासचिव व अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के चुनाव की शक्तियाँ
4. विवादों का शान्तिपूर्ण निपटारा
Note– सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों के पास वीटो पॉवर होती है अर्थात् कोई भी निर्णय या प्रस्ताव पारित करवाने हेतु पाँचों स्थायी सदस्यों की सकारात्मक सहमति आवश्यक होती है।
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय :
• चार्टर के अनुच्छेद 92 के तहत् अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय हेग (स्विट्जरलैण्ड) में स्थित है।
संरचना :
संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य वस्तुतः न्यायालय के सदस्य होते हैं। सुरक्षा परिषद की सिफारिशों पर कार्यरत महासभा द्वारा प्रत्येक विषय पर निर्धारित शर्तों के अनुसार वे राज्य भी अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के संविधान में शामिल हो सकते हैं जो इसके सदस्य नहीं होते। नई सदस्यता के लिए निम्नांकित शर्ते लगाई जाती है-
1. संविधान तथा न्यायालय के सम्बन्ध में दूसरे प्रतिबन्धों को स्वीकार करना।
2. महासभा द्वारा अनुमानित व्यय में अपना योगदान देना।
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं। इसके अलावा कुछ तदर्थ न्यायाधीश भी होते हैं।
न्यायाधीशों का चुनाव :
महासभा तथा सुरक्षा परिषद न्यायालय के सदस्य बनने के लिए आवश्यक उम्मीदवारों की नियुक्ति करते हैं। वे व्यक्ति जो सुरक्षा परिषद् तथा महासभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लेते हैं, निर्वाचित घोषित कर दिये जाते हैं।
न्यायाधीशों का कार्यकाल :
• अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल 9 वर्ष का होता है तथा हर 3 वर्ष के बाद 1/3 न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो जाते हैं। न्यायाधीश पुनः भी चुनाव लड़ सकते हैं। भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश है। एक देश से 2 ही न्यायाधीश हो सकते हैं।
शक्तियाँ एवं क्षेत्राधिकार :
1. ऐच्छिक क्षेत्राधिकार-
• ऐसे मुकदमें राज्य अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में किसी समझौते के अन्तर्गत अपनी इच्छा से ही लाते हैं। किसी भी राज्य पर यह प्रतिबन्ध नहीं है कि वह अपने मुकदमें इसी न्यायालय में ही लाये।
2. अनिवार्य क्षेत्राधिकार-
• अनुच्छेद 30 के अनुसार, राज्य निम्नलिखित प्रकार के मुकदमों को अनिवार्य रूप से इसी न्यायालय में लाते हैं-
1. संधि की व्याख्या,
2. अंतर्राष्ट्रीय कानून से संबंधित प्रश्न,
3. कोई भी वास्तविकता जो स्थापित हो चुकी हो, अन्तर्राष्ट्रीय दायित्व की शाखा बन जाएगी,
4. अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबन्ध को भंग करने की स्थिति में क्षतिपूर्ति का स्वरूप तथा सीमा।
3. सलाहकारी क्षेत्राधिकार-
• अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के पास महासभा, सुरक्षा समिति तथा महासभा द्वारा स्थापित की गई दूसरी विशिष्ट एजेन्सियों को कानूनी प्रश्नों पर सलाह देने की भी शक्ति है। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की सलाह लिखित निवेदन द्वारा ली जाती है। न्यायालय स्वयं ही अपना मत प्रकट नहीं करता। इसके अतिरिक्त इसकी सलाह को, सलाह माँगने वाली एजेन्सी द्वारा मानना आवश्यक नहीं होता। इसका मत सलाह ही होता है, निर्णय नहीं।
न्यास परिषद :
• 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ के इस अंग की स्थापना संयुक्त राष्ट्र के चार्टर 7 के तहत् की गई थी। इसका मुख्य कार्य संयुक्त राष्ट्र संघ के 11 न्यास क्षेत्रों (Trust Territories) के लिए अन्तर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षण प्रदान करना था।
• 1994 तक सभी न्यास क्षेत्रों ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी तो 1 नवम्बर, 1994 के बाद इसका वैधानिक अस्तित्व तो है किन्तु सक्रिय भूमिका समाप्त हो गयी।
• आर्थिक तथा सामाजिक परिषद् (ECOSOC-Economic & Social Council)
• संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य युद्ध रोकना तथा शांति बनाए रखने के साथ-साथ राज्यों के आर्थिक तथा सामाजिक कल्याण की ओर भी ध्यान देना है, इसलिए इस अंग को UNO में जोड़ा गया।
• 1919 में Leage of Nation (राष्ट्र संघ) में यह अंग शामिल नहीं था बल्कि UNO के बाकि सभी अंग शामिल थे।
• इसका दर्शन तत्परता, क्षमता, निष्पक्षता है।
• इसकी सदस्य संख्या 54 है जिनका कार्यकाल 3 वर्ष होता है। प्रत्येक वर्ष 1/3 सदस्य रिटायर होते हैं। सदस्यों का पुनः निर्वाचन संभव है।
• सहस्त्राब्दी लक्ष्य (MDG) तथा SDG (सतत् विकास लक्ष्य) का निर्धारण तो महासभा करती है, किन्तु इनका क्रियान्वयन ECOSOC द्वारा किया जाता है।
नोट– अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संघटन, संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), यूनेस्को, WHO, विश्व बैंक, IMF आदि एजेन्सियाँ इसी के निर्देशन में काम करती हैं।
सचिवालय :
• UN सचिवालय न्यूयॉर्क में स्थित है तथा इसके चार क्षेत्रीय
• कमीशन सचिवालय बगदाद, बैंकॉक, जेनेवा व सेन्टियागो में स्थित हैं।
• सचिवालय, प्रशासनिक कार्य करता है, जिसका प्रशासनिक प्रमुख महासचिव होता है। महासचिव की नियुक्ति महासभा द्वारा 2/3 के बहुमत से सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर की जाती है। (अध्याय-15, अनुच्छेद-97)
• 1996 से महासचिव की नियुक्ति विष्णुमूर्ति गाइड लाइन्स के अनुसार होती हैं, इसके तहत् सुरक्षा परिषद् एक नाम Final करती है तथा महासभा उस पर केवल रबर स्टाम्प लगाती है।
• दो महासचिव हैमर शॉल्ड (1961) तथा कॉफी अन्नान (2001) को शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।
• ग्लेडविन जेब 24 अक्टूबर, 1945 से 1 फरवरी, 1946 तक UNO के कार्यवाहक सचिव थे। 2 फरवरी, 1946 को त्रिग्वेली (ट्राइग्व ली) को UNO का प्रथम महासचिव बनाया गया।
• वर्तमान महासचिव पुर्तगाल के एन्टोनियो गुटेरेश है, जो 1 जनवरी, 2017 से कार्यरत हैं।
महासभा/आर्थिक व सामाजिक परिषद् के प्रमुख निकाय
1. व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) –
.स्थापना- 30 दिसम्बर, 1964 को महासभा के प्रस्ताव द्वारा।
मुख्यालय – जिनेवा.
• उद्देश्य– यह अल्प विकसित देशों के त्वरित-आर्थिक विकास हेतु अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करता है। व्यापार व विकास नीतियों का निर्माण एवं क्रियान्वयन करता है।
2. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) –
स्थापना- 22 नवम्बर, 1965 को महासभा के प्रस्ताव द्वारा।
मुख्यालय- न्यूयॉर्क (यू.एस.ए.)।
• उद्देश्य– अल्पविकसित देशों द्वारा समानार्थिक विकास की दिशा में किये जो रहे प्रयासों को तीव्र करने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान करता है। UNDP द्वारा मानव विकास रिपोर्ट (HDR) प्रतिवर्ष जारी की जाती है।
3. शरणार्थियों हेतु संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त का कार्यालय (UNHCR)-
स्थापना- 3 दिसम्बर, 1949 को महासभा के प्रस्ताव द्वारा।
मुख्यालय – जिनेवा.
• उद्देश्य– शरणार्थियों की समस्याओं के प्रति आपात राहत, पुनर्वास सहायता, सुरक्षा तथा स्थायी निदान उपलब्ध करवाना।
4. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) –
स्थापना- 1946 को महासभा के प्रस्ताव द्वारा।
मुख्यालय- न्यूयॉर्क (यू.एस.ए.)।
• उद्देश्य– अल्पविकसित देशों में स्थायी बाल स्वास्थ्य व कल्याण सेवाओं की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करना। यह संगठन बच्चों को शिक्षा, पोषण व स्वास्थ्य संबंधी सहायता देता है।
5. विश्व खाद्य कार्यक्रम (WEP) –
स्थापना – 1961 को महासभा एवं खाद्य व कृषि संगठन (FAO) द्वारा पारित समान्तर प्रस्तावों के अधीन इस कार्यक्रम की शुरूआत 1963 से हुई।
• उद्देश्य– यह आपातकाल में खाद्य एवं सहायता उपलब्ध कराने के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास की परियोजनाओं में भी सहयोग प्रदान करता है।
6. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) –
स्थापना- 1972 में मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के परिणामस्वरूप ।
मुख्यालय – नैरोबी (केन्या)।
• उद्देश्य– मानव पर्यावरण को प्रभावित करने वाले सभी मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना तथा पर्यावरण संबंधी जानकारी का संग्रहण, मूल्यांकन एवं पारस्परिक आदान-प्रदान करना है। यूनेप पर्यावरण संबंधी समस्याओं के तकनीकी एवं सामान्य निदान हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।
7. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) –
स्थापना- 1967 को जनसंख्या न्यास कोष के नाम से।
मुख्यालय- न्यूयॉर्क (यू.एस.ए.)।
•उद्देश्य– जनसंख्या एवं परिवार नियोजन की जरूरतों से निपटने की क्षमता को बढ़ाता है।
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