राजस्थान की विधानसभा नोट्स : Rajasthan Legislative Assembly Notes In Hindi

राजस्थान की विधानसभा नोट्स : परिचय

• विधानमण्डल का उल्लेख संविधान के भाग-6 में अनुच्छेद 168 से 212 के अन्तर्गत किया गया है।

• अनु. 168- प्रत्येक राज्य का एक विधानमण्डल होगा जो राज्यपाल तथा कुछ राज्यों में दो सदनों तथा शेष राज्यों में एक सदन से मिलकर बनेगा। प्रत्येक राज्य में विधानमण्डलों में दो सदनों का होना आवश्यक नहीं है।

राजस्थान की विधानसभा नोट्स : विधानमण्डल

राज्यपाल + विधानपरिषद + विधानसभा

राज्यपाल + विधानसभा

• विधान मंडल के दो सदनों में एक उच्च सदन विधान परिषद तथा दूसरा निम्न सदन विधानसभा होता है। राजस्थान में केवल एक सदन विधानसभा ही है।

• हालांकि राजस्थान राज्य सरकार द्वारा विधान परिषद के गठन के लिए 18 अप्रैल, 2012 को एक प्रस्ताव पारित किया गया। 6 अगस्त, 2013 को राज्यसभा में राजस्थान विधानपरिषद विधेयक पेश किया गया। इसके बाद इस विधेयक को शांताराम नायक की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति को सौंपा गया। इस समिति के अन्य सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी व भूपेन्द्र यादव (तत्कालीन राज्य सभा सदस्य) तथा अर्जुन मेघवाल (तत्कालीन लोकसभा सदस्य) थे।

राजस्थान की विधानसभा नोट्स : विधान परिषद

• विधानपरिषद का सृजन (Creation) या उत्सादन (Abolition) (अनु. 169)

• किसी राज्य में विधानपरिषद का सृजन करना अथवा उसका उत्सादन करना संसद की शक्ति है।

• संसद ऐसा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित करके कर सकती है, लेकिन संसद ऐसा प्रस्ताव केवल तभी पारित करती है, जब उस राज्य की विधानसभा ने विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित कर इस हेतु संसद से सिफारिश की हो।

राजस्थान की विधानसभा नोट्स : विधानपरिषद का गठन (अनु. 171)

• विधानपरिषद में अधिकतम सदस्य संख्या उस राज्य की विधानसभा की कुल सदस्य संख्या के 1/3 के बराबर हो सकती है जबकि न्यूनतम सदस्य संख्या 40 हो सकती है।

• भारत में वर्तमान में 6 राज्यों में विधानपरिषद हैं।

1. उत्तरप्रदेश। 100

2. महाराष्ट्र। 78

3. बिहार। 75

4. कर्नाटक। 75

5. आंध्र प्रदेश। 58

6. तेलंगाना 40

नोटः- राजस्थान में विधानसभा की वर्तमान संख्या संख्या 200 है। अतः प्रस्तावित विधानपरिषद की अधिकतम सदस्य संख्या 66 होगी।

निर्वाचन : राजस्थान की विधानसभा

• विधानपरिषद में कुल सदस्य संख्या के 5/6 सदस्य निर्वाचित होते है तथा 1/6 सदस्य मनोनीत होते है।

• विधानपरिषद के सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से किया जाता है।

• विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित 1/3 सदस्यों का निर्वाचन खुले मतदान प्रणाली से तथा शेष सदस्यों का निर्वाचन गुप्त मतदान प्रणाली से होता है।

• विधानपरिषद के विभिन्न सदस्यों को अलग-अलग निर्वाचक मण्डलों द्वारा चुना जाता है-

1/3 सदस्य- विधानसभा के सदस्यों द्वारा।

1/3 सदस्य- स्थानीय निकायों द्वारा (संसद द्वारा निर्धारित)

1/12 सदस्य- स्नातकों द्वारा (3 वर्ष का अनुभव)

1/12 सदस्य- माध्यमिक शिक्षा तथा उससे उच्च स्तर के तीन वर्ष का अनुभव प्राप्त शिक्षकों द्वारा।

1/6 सदस्य- राज्यपाल द्वारा मनोनीत ।

राज्यपाल द्वारा सदस्यों का मनोनयन : राजस्थान की विधानसभा

• विधानपरिषद के कुल सदस्यों के 1/6 सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करता है।

• यह सदस्य ऐसे सदस्य होते है, जिन्होंने साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारिता या समाजसेवा में उल्लेखनीय कार्य किया हो।

कार्यकाल (धारा 172) : राजस्थान की विधानसभा

• विधानपरिषद एक स्थाई सदन है अर्थात् विधान परिषद का विघटन नहीं किया जा सकता, हालांकि इसे समाप्त किया जा सकता है।

• इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है तथा प्रति दो वर्ष से एक तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण कर लेते हैं तथा उसके स्थान पर उतनी ही संख्या में नये सदस्य चुन लिए जाते हैं।

शपथ (अनु. 188 ) : राजस्थान की विधानसभा

• विधानमण्डल के सदस्य (विधानसभा व विधानपरिषद) राज्यपाल अथवा उसके द्वारा निर्धारित व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में वर्णित प्रारूप के अनुसार शपथ ग्रहण करते हैं।

• विधानपरिषद के सदस्यों को शपथ दिलाने हेतु राज्यपाल ने विधानपरिषद के सभापति को नियुक्त कर दिया।

विधान परिषद के पदाधिकारी (अनु. 182-185) : राजस्थान की विधानसभा

सभापति-

• विधानपरिषद के सदस्य अपने में से ही किसी एक सदस्य को सभापति के रूप में चुनते है अर्थात् सभापति विधानपरिषद का सदस्य होता है।

• सभापति अपना त्यागपत्र उपसभापति को देता है।

कार्य-

• सदन की अध्यक्षता करना।

• निर्णायक मत देना।

• सदस्यों को बोलने की अनुमति देना।

• सदन की गणपूर्ति को सुनिश्चित करना।

• सदन को स्थगित करना।

• विधानपरिषद के सदस्यों की अयोग्यता से सम्बन्धित किसी विवाद का निर्णय करना।

• सदन के नियमों की व्याख्या करना।

उपसभापति –

• विधानपरिषद के सदस्य अपने में ही एक उपसभापति को चुनते है।

• उपसभापति विधानपरिषद का सदस्य रहने तक पद पर बना रहता है।

• उपसभापति सभापति को सम्बोधित त्यागपत्र से अपना पद त्याग सकता है।

कार्य-

• सभापति की अनुपस्थिति में सदन की अध्यक्षता करना।

नोटः- सभापति तथा उपसभापति का 14 दिन की पूर्व सूचना के आधार पर पेश किए गए पद से हटाने के प्रस्ताव को सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत से पारित कर पद से हटाया जा सकता है।

राजस्थान की विधानसभा नोट्स : विधानसभा

गठन (अनु. 170) : राजस्थान की विधानसभा

• किसी भी राज्य की विधानसभा में अधिकतम 500 सदस्य व न्यूनतम 60 सदस्य हो सकते हैं।

नोटः- संविधान के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार कम जनसंख्या वाले राज्यों में विधानसभा की न्यूनतम सदस्य संख्या 60 से कम हो सकती है। जैसे-

नागालैण्ड – 46 (अनु. 371 क)

सिक्किम – 30 (अनुच्छेद 371 च)

मिजोरम – 40 (धारा 371छ)

अरूणाचल प्रदेश 30 (अनु. 371 ज)

गोवा – 30 (अनु. 371 झ)

परिसीमन : राजस्थान की विधानसभा

• समान जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का सीमांकन करना।

• इसकी न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती।

• इसके निर्णय आगामी विधानसभा पर लागू होते हैं।

• विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन भी वही परिसीमन आयोग करता है जो लोकसभा के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करता है।

• भारत में अब तक चार परिसीमन आयोग 1952, 1962, 1972, 2002 में गठित हुए हैं।

विधानसभा में आरक्षण (अनु. 332) : राजस्थान की विधानसभा

विधानसभा में SC तथा ST को आरक्षण प्रदान किया गया है।

• वर्ष 2002 में राज्य की लोकसभा व विधानसभा की सीटों के पुनर्गठन के लिए जस्टिस कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग गठित किया गया है। इस आयोग की सिफारिश पर राजस्थान में अनुसूचित जाति की 34 तथा अनुसूचित जनजाति की 25 सीटें विधानसभा में आरक्षित की गई।

राजस्थान की विधानसभा नोट्स : चुनाव : राजस्थान की विधानसभा

• विधानसभा में सदस्यों का प्रत्यक्ष निर्वाचन होता है, जो सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है।

• सदस्यों का निर्वाचन फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम से गुप्त मतदान प्रणाली से होता है।

• विधानसभा सदस्य प्रादेशिक प्रतिनिधित्व करते हैं तथा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र एक सदस्यीय होता है।

राजस्थान की विधानसभा नोट्स : कार्यकाल (धारा 172)

• विधानसभा का कार्यकाल उसकी पहली बैठक से पाँच वर्ष तक निर्धारित होता है।

• सदस्य, स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) को सम्बोधित त्यागपत्र से अपना पद पहले भी छोड़ सकते है।

• राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह से इसे समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है। (अनु.174)

• राष्ट्रपति शासन लागू होने की स्थिति में मुख्यमंत्री की सलाह के बिना भी राज्यपाल विधानसभा को भंग कर सकता है।

शपथ (अनु. 188) : राजस्थान की विधानसभा नोट्स

• विधानमण्डल के सदस्य राज्यपाल अथवा उसके द्वारा निर्धारित व्यक्ति के समक्ष शपथ ग्रहण करते हैं।

• विधानसभा के सदस्यों को शपथ दिलाने के लिए राज्यपाल उस नवनिर्वाचित विधानसभा के किसी अनुभवी सदस्य को प्रोटेम स्पीकर के रूप में नियुक्त कर देता है। (सामयिक अध्यक्ष)

• यह प्रोटेम स्पीकर सभी सदस्यों को तीसरी अनुसूची में निर्धारित प्रारूप के अनुसार शपथ दिलाता है जबकि वह स्वयं राज्यपाल के समक्ष शपथ ग्रहण करता है।

• प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा नवगठित विधानसभा के सदस्यों में से अल्पकाल के लिए की जाती है। सामान्यतः सदन के वरिष्ठतम सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है।

• प्रोटेम स्पीकर के कार्य सदन की प्रथम बैठक की अध्यक्षता करना, नये विधानसभा सदस्यों को शपथग्रहण करवाना, विधानसभा अध्यक्ष हेतु चुनाव करवाना।

• नये विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के साथ प्रोटेम स्पीकर का पद समाप्त हो जाता है।

विधानसभा में पदाधिकारी (अनु. 178-181) : राजस्थान की विधानसभा नोट्स

विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर)- राजस्थान की विधानसभा

• विधानसभा के सदस्य अपने में से ही किसी एक सदस्य को विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में चुन लेते है अर्थात् विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा का सदस्य होता है।

• स्पीकर के निर्वाचन की तिथी का निर्धारण राज्यपाल करता है।

• विधानसभा अध्यक्ष नई विधानसभा की पहली बैठक के ठीक पहले तक पद पर बना रहता है।

• विधानसभा अध्यक्ष अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को देता है।

• पद से हटाना – 14 दिन की पूर्व सूचना के आधार पर पेश किये गए ऐसे विधेयक को सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत से पारित कर दिये जाने पर उसे पद से हटाया जा सकता है। ऐसी बैठक की अध्यक्षता स्वयं स्पीकर नहीं कर सकता।

विधानसभा अध्यक्ष के कार्य- : राजस्थान की विधानसभा

• सदन की अध्यक्षता करना।

• सदस्यों को बोलने की अनुमति प्रदान करना।

• सदन की गणपूर्ति का विनिश्चय करना।

• सदन के नियमों की व्याख्या करना।

• सदन को स्थगित करना।

• कोई विधेयक, धन विधेयक है या नहीं, इसका विनिश्चय करना।

• विधानसभा के सदस्यों की दल-बदल से सम्बन्धी अयोग्यताओं के विवाद का निर्णय करना।

• निर्णायक मत देना।

विधानसभा उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) : राजस्थान की विधानसभा

• विधानसभा के सदस्यों द्वारा अपने में से ही किसी एक सदस्य को उपाध्यक्ष के रूप में निर्वाचित कर लेते है अर्थात् उपाध्यक्ष विधान सभा का सदस्य होता है।

• उपाध्यक्ष के निर्वाचन की तिथि का निर्धारण स्पीकर करता है।

• विधानसभा उपाध्यक्ष अपना त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को देता है।

• इसे 14 दिन की पूर्व सूचना के आधार पर सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत से पारित प्रस्ताव से हटाया जा सकता है।

• वह अध्यक्ष की अनुपस्थिति में बैठकों की अध्यक्षता करता है।

(पात्रता (धारा 173) : राजस्थान की विधानसभा नोट्स

• भारत का नागरिक हो।

• विधानसभा के लिए 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो व विधान परिषद के लिए 30 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।

• वे समस्त योग्यताएँ जो संसद विधि बनाकर निर्धारित करे।

अयोग्यताएँ (अनु. 191) : राजस्थान की विधानसभा नोट्स

• यदि भारत का नागरिक न हो।

• मानसिक विकृति चित का हो।

• न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित किया जा चुका हो।

• वे समस्त अयोग्यताएँ जो संसद विधि बनाकर निर्धारित करे।

• दल बदल सम्बन्धी अयोग्यता ।

नोटः- विधानमण्डल के सदस्यों की दल-बदल संबंधी अयोग्यता को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की अयोग्यताओं के विवाद का निर्णय राज्यपाल भारतीय चुनाव आयोग की सलाह से करेगा (अनु. 192)।

राजस्थान में विधान सभा क्षेत्र : राजस्थान की विधानसभा

• राजस्थान में कुल 25 लोकसभा तथा 200 विधानसभा क्षेत्र हैं।

• सर्वाधिक विधानसभा क्षेत्र वाला जिला- जयपुर (19)

• न्यूनतम विधानसभा क्षेत्र वाले जिले- प्रतापगढ़ (2) व जैसलमेर (2)

• क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र- जैसलमेर

• सर्वाधिक पंजीकृत मतदाता वाला विधानसभा क्षेत्र- झोटवाड़ा (जयपुर)

• न्यूनतम पंजीकृत मतदाता वाला विधानसभा क्षेत्र- बसेड़ी (धौलपुर)

• क्रमांक 1 वाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र- सादुलशहर (गंगानगर)

• क्रमांक 100 वाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अजमेर उत्तर

• क्रमांक 200 वाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र मनोहर थाना (झालावाड़)

राजस्थान विशेष : राजस्थान की विधानसभा

• प्रथम विधानसभा अध्यक्ष नरोत्तम लाल जोशी

• सर्वाधिक कार्यकाल वाला अध्यक्ष- रामनिवास मिर्धा

• न्यूनतम कार्यकाल वाला अध्यक्ष- समर्थलाल मीणा

• प्रथम विधानसभा उपाध्यक्ष लाल सिंह शक्तावत

• राजस्थान विधानसभा में प्रथम गैर काँग्रेसी अध्यक्ष- लक्ष्मण सिंह

• ऐसे विधानसभा अध्यक्ष जो प्रोटेम स्पीकर तथा नेता प्रतिपक्ष भी रहे- लक्ष्मणसिंह

• राजस्थान विधानसभा में एकमात्र महिला विधानसभा अध्यक्ष- सुमित्रा सिंह (12वीं विधानसभा)

• विधानसभा में प्रथम महिला उपाध्यक्ष- तारा भंडारी

• 15वीं विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी

• जिन विधानसभा अध्यक्षों के विरुद्ध हटाने का प्रस्ताव लाया गया, लेकिन यह कभी पारित नहीं हुआ- राजस्थान की विधानसभा

1. नरोत्तम लाल जोशी (प्रथम विधानसभा 2 बार)

2. निरंजन नाथ आचार्य (चौथी विधानसभा)

3. गिरीराज प्रसाद तिवारी (आठवीं विधानसभा)

4. शांतिलाल चपलोत (दसवीं विधानसभा – 2 बार)

• ऐसे अध्यक्ष जो पहले उपाध्यक्ष भी रहे- : राजस्थान की विधानसभा

1. निरंजन नाथ आचार्य

2. पूनम चंद विश्नोई

3. गिरिराज प्रसाद तिवारी

4. शांतिलाल चपलोत

5. समर्थ लाल मीणा

राजस्थान लोक सेवा आयोग के नोट्स हिंदी में पढने के लिए हमारी पोस्ट देखे click here

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