मीणा आंदोलन :
• जयपुर तथा अलवर क्षेत्र में खोहगंग, माची, गैटोर एवं शोभा के प्रारभतकमी जातिका राज्य था।
• सर्वप्रथम ग्वालियर से आकर दुलारा कच्चावाने सोहगंग पर अधिकार कर लिया।
• कालान्तर में मीणा आधिपत्य वाले स्थानों पर कच्छवाहों ने अधिकार कर लिया। उन्नीसवीं सदी में केवल खैरा (भीलवाड़ा व टॉक का भू-भाग) क्षेत्र में ही भीषण शक्तिशाली थे।
• अंग्रेजों ने 1815 में खैराड़ में मीणा जनजाति पर अंकुश रखने के लिए टॉक के देवली में सैनिक छावनी स्थापित की।
• कर्नल टॉड ने अजमेर में टॉडगढ़ बनाकर वहां सेना रखी।
मीणा अंग्रेजो को अपना शत्रु मानते थे, क्योंकि अंग्रेजों ने उनके परम्परागत अधिकारों में हस्तक्षेप कर उन पर अनेक प्रतिबंध लगाए थे।
• अंग्रेजों की नई भूमि व राजस्व व्यवस्था के प्रति असंतोष प्रकट करने के लिए 1851 में उदयपुर राज्य के जहाजपुर परगने के मीणाओं ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था।
• मीणा जनजाति के लोग केवल मेवाड़ महाराणा की प्रतिकात्मक सत्ता स्वीकार करते थे। अंग्रेज इन आदिवासी समुदायों के प्रति पुर्वाग्रह से ग्रसित थे, इसलिए वे इनसे कठोरता से पेश आते थे।
• मेवाड़ महाराणा ने 1851 में मेहता रघुनाथ सिंह को नया हाकिम नियुक्त किया। उसने जनता से खूब धन वसूली की।
विद्रोही मीणाओं ने राजस्व अधिकारियों व सूदखोरों को लूटा तथा समीप स्थित अजमेर-मेरवाड़ा के अंग्रेज प्रांत पर आक्रमण किए।
अंग्रेज अधिकारियों की सलाह पर महाराणा ने हाकिम का स्थानान्तरण कर मेहता अजीतसिंह को विद्रोही मौणाओं को दबाने के लिए हाकिम नियुक्त किया। वह उदयपुर से राजकीय सेना लेकर रवाना हुआ। रास्ते में शाहपुरा, बनेड़ा, बिजौलिया, भैसरोड़गढ़, जहाजपुर व मांडलगढ़ के जागीरदारों की सेनाएँ सम्मिलित हो गई।
• इनके अतिरिक्त भीम पलटन व एकलिंग पलटन के सिपाही दो तोपों सहित इस सेना में सम्मिलित किए गए।
• AGG राजपूताना के कहने पर जयपुर, टोंक व बूंदी राज्यों ने अपनी सीमाओं पर चोकसी पक्की कर दी, जिससे जहाजपुर के मीणाओं को अन्य राज्यों से समर्थन न मिल सके। उदयपुर की सेनाओं ने छोटी लुहारी व बड़ी लुहारी नामक गांवों पर आक्रमण किए, जो मीणा- विद्रोह के मुखियाओं के गांव थे।
• विद्रोही मीणा सपरिवार मनोहरगढ़ एवं देवखेड़ा की पहाड़ियों की ओर भाग गए। वहां मीणाओं ने रक्षात्मक स्थिति प्राप्त कर ली थी तथा तमाम प्रतिबंधों के बावजूद भी जयपुर, बूंदी व टोंक से 5000 मीणा जहाजपुर सहायता हेतु पहुंच गये। इस संघर्ष में राज्य सेना के 57 सिपाही मारे गए।
• दिसम्बर, 1854 में एजेन्ट टू गवर्नर जनरल इन राजपूताना, मेवाड़ का पॉलिटिकल एजेन्ट व हाड़ौती का पॉलिटिकल संयुक्त रूप से सेना लेकर जहाजपुर पहुँचे।
• जनवरी, 1855 के अन्त तक जहाजपुर व ईटोदा के विद्रोही मीणाओं ने इस सेना के समक्ष समर्थन कर दिया।
• भविष्य में ऐसा विद्रोह ना हो इसके लिए फरवरी, 1855 में जयपुर, अजमेर, बूंदी एवं मेवाड़ की सीमाओं पर स्थित देवली में एक
सैनिक छावनी स्थापित की तथा छावनी के आस-पास थाने भी स्थापित किये गये।
• 1855 में देवली छावनी को नवगठित अनियमित सेना का मुख्यालय बनाया गया जो 1857 से 1860 के दौरान ‘मीणा बटालियन’ अथवा ’42वीं देवली रेजीमेंट’ के नाम से जानी गई।
1921 में 42वीं देवली रेजीमेंट व 43वीं एरिनपुरा रेजीमेंट को समाप्त कर ‘मीणा कोर’ नामक नवीन बटालियन का गठन किया गया।
• • पुनः जनवरी, 1860 में जहाजपुर के मीणाओं ने विद्रोह कर दिया। मेवाड़ महाराणा ने 29 जनवरी, 1860 को चन्दसिंह के नेतृत्व में जहाजपुर में सेना भेजी।
• सेना ने गाठोली व लुहारी गांवों पर आक्रमण किया, गांवों को लूटा गया, भारी संख्या में मीणाओं को बंदी बनाया गया तथा 6 लोगों को तोप से उड़ा दिया गया। मीणाओं को नियमित थाने में उपस्थिति देने हेतु बाध्य किया गया। इस प्रकार जहाजपुर का मीणा विद्रोह अंतिम रूप से नियंत्रित हो पाया।
• 1871 में अपराधी जाति अधिनियम द्वारा मीणा जाति के व्यक्तियों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया। उन्हें निर्धारित समय पर थानों में उपस्थिति दर्ज कराना आवश्यक था। इस नियम के उल्लंघन पर तीन वर्ष की कैद एवं 500 रूपये जुर्माना देना पड़ता था।
मीणा आंदोलन में मीणाओं में जनजागृति :
• 1924 में भारत सरकार ने ‘क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट’ (अपराधी जाति अधिनियम) पारित किया गया, जिसमें मीणाओं को दण्डित करने की धाराएँ थी।
• इस काले कानून का विरोध करने के लिए छोटूराम शरवाल, महादेव राम पवड़ी एवं जवाहरराम मीणा ने ‘मीणा जाति सुधार समिति’को स्थापना की।
• 1930 में जयपुर राज्य में ‘जरायम पेशा अधिनियम’ (दादरी अधिनियम) पारित कर मीणाओं को अपराधी जाति घोषित कर दिया। इस अधिनियम के अनुसार 25 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक स्वी-पुरुष को प्रतिदिन थाने में हाजरी देना अनिवार्य कर दिया गया।
• 1933 में स्थापित ‘मीणा क्षेत्रीय महासभा’ ने इस अधिनियम को रद्द करने की मांग की जिसे अस्वीकार कर दिया गया। 1942 में दिल्ली में ‘अखिल भारतीय मीणा क्षेत्रीय महासभा’ का अधिवेशन हुआ, जिसमें जयपुर से भवरलाल, बिरदीचंद तथा सूबालाल मीणा ने भाग लिया।
जैन मुनि मगन सागर ने ‘मीनपुराण’ की रचना कर मीणा जाति को उसके प्राचीन गौरव का भान करवाया।
अप्रैल, 1944 में मीणाओं का एक विशाल अधिवेशन नीमकाथाना (सीकर) में संत मगन सागर जी की अध्यक्षता में हुआ। इस सम्मेलन में बंशीधर शमां की अध्यक्षता में जयपुर राज्य मीणा सुधार समिति स्थापित की गई। इस समिति के मंत्री राजेन्द्र कुमार व संयुक्त मंत्री लक्ष्मीनारायण सरवाल को नियुक्त किया गया।
समिति में तीन सूत्री कार्यक्रम रखा –
1. चौकीदारी प्रथा को समाप्त करना।
2. जरायमपेशा कानून को रद्द करने के आंदोलन करना।
3. मीणा समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करना।
• 1945 में इसके परिणामस्वरूप थानों में अनिवार्य उपस्थिति की बाध्यताओं को समाप्त किया गया किन्तु जयरामपेशा अधिनियम पूर्ववत् बना रहा।
• 1945 में ‘मीणा सुधार समिति’ का श्रीमाधोपुर (सीकर) में सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में जरायम पेशा के विरोध में आंदोलन करने का निर्णय लिया गया।
• ठक्कर बप्पा ने मीणाओं को राहत देने के लिए जयपुर रियासत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माईल को पत्र लिखा।
• 4 मई 1946 को जयपुर राज्य ने कानून दादरसी को समाप्त करने की घोषणा की।
• 3 जुलाई 1946 को जरायम पेशा कानून से महिलाओं व बच्चों को बाहर किया गया तथा ऐसे व्यक्तियों को बाहर किया गया जिन पर लम्बे समय (10 वर्ष) से कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया था।
• सरकारी निर्णय पर विचार करने के लिए 28 अक्टूबर 1946 को बागावास (जयपुर) में हुए सम्मेलन में 26000 मीणाओं ने भाग लिया। • इसमें लगभग 16000 चौकीदार मीणाओं ने स्वेच्छा से अपने कार्य से इस्तीफा दे दिया और इस दिन को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया।
6 जून 1947 को इस कानून के सम्बन्ध में जयपुर में विशाल जुलूस के साथ प्रदर्शन किया, उसी दिन से मीणाओं ने हाजरी देना भी बंद कर दिया।
• 28 वर्ष के लम्बे संघर्ष के बाद 1952 में जयरामपेशा अधिनियम रद्द कर दिया। इस कार्य में हीरालाल शास्त्री एवं टीकाराम पालीवाल का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
मीणा आंदोलन व जनजाति आंदोलन के महत्वपूर्ण MCQ
1. मोतीलाल तेजावत सर्वाधिक योग्य नेता माने जाते है –
(1) मजदूर आंदोलन
(2) भील आंदोलन
(3) छात्र आंदोलन
(4) किसान आंदोलन
(2)
2. निम्नलिखित में से कौन 1921-1922 में मेवाड़ के भीलों के आदिवासी किसान आंदोलन के महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक है
(1) मोतीलाल तेजावत
(2) रावत केसरी सिंह
(3) रावत जोधसिंह
(4) हरलाल सिंह
(1)
3. निम्नलिखित में से गलत युग्म को पहचानिए
(1) बिजोलिया किसान आंदोलन: विजय सिंह पथिक
(2) बेगूँ किसान आंदोलन : रामनारायण चौधरी
(3) मीणा आंदोलन : मोतीलाल तेजावत
(4) भगत आंदोलन : गुरु गोविन्द गिरि
(3)
4. एकी आंदोलन के नेता कौन थे जो 1920 में वर्तमान राजस्थान और गुजरात के आदिवासी बहुल सीमा क्षेत्रों में आंदोलनरत थे-
(1) विजय सिंह पथिक
(2) मोतीलाल तेजावत
(3) प्रकाश चन्द्र
(4) सज्जन सिंह
(2)
5. मोतीलाल तेजावत किस गाँव के निवासी थे?
(1) फलासिया
(2) सामलिया
(3) कोल्यारी
(4) मानगढ़
(3)
6. राजस्थान में ‘एकी’ आन्दोलन का सूत्रपात किसने किया?
(1) विजयसिंह पथिक
(2) मोतीलाल तेजावत
(3) गोविन्द गिरि
(4) गोपालसिंह ‘खरवा’
(2)
7. ‘एकी आन्दोलन’ का प्रमुख उद्देश्य क्या था-
(1) भीलों में व्याप्त बुराईयों को दूर करना।
(2) किसानों को भारी लागत और अन्यायपूर्ण बेगार से मुक्त करवाना।
(3) भीलों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त करवाना।
(4) भील राज्य की स्थापना करने के लिए भीलों एवं गरासियों का एक संगठन बनाना।
(2)
8. एकी आन्दोलन की शुरुआत 1921 ई. मोतीलाल तेजावत ने कहाँ से शुरू की थी?
(1) देवलिया
(2) सांवलिया
(3) मण्डफिया
(4) मातृकुण्डिया
(4)
9. ‘मेवाड़ पुकार’ :
(1) मोतीलाल तेजावत द्वारा तैयार एक माँग पत्र था, जो मेवाड़ महाराणा को प्रस्तुत किया गया था।
(2) मेवाड़ प्रजामण्डल का साप्ताहिक अखबार था।
(3) केसरीसिंह बारहठ द्वारा रचित एक शौर्य गाथा थी।
(4) जयनारायण व्यास द्वारा संपादित मासिक पत्रिका थी।
(1)
10. जुलाई 1921 में मोतीलाल तेजावत ने किस स्थान से भील आन्दोलन छेड़ा?
(1) झाड़ोल
(2) गोगुन्दा
(3) कोटड़ा
(4) सिरोही
(1)
11. सामाजिक सुधारक गोविन्द गुरु का जन्म हुआ?
(1) पंडित परिवार में
(2) किसान परिवार में
(3) बंजारा परिवार में
(4) जमींदार परिवार में
(3)
12. गोविन्द गुरु के विषय में निम्न में से कौनसा कथन असत्य है
(1) गोविन्द्र गुरु बंजारा जाति के थे।
(2) गोविन्द गुरु का जन्म 1858 में डूंगरपुर के पालपट्टा में हुआ था।
(3) गोविन्द गुरु ने बाँसिया ग्राम में धूनी एवं निशान की स्थापना की।
(4) गोविन्द गुरु ने भीलों को धर्म एवं सत्य के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया।
(2)
13. आदिवासी लोगों में जागृति पैदा करने के लिए गोविन्द गुरु किस जिले से संबंधित है?
(1) डूंगरपुर
(2) चित्तौड़
(3) बाँसवाड़ा
(4) सिरोही
(1)
14. प्रसिद्ध भगत आन्दोलन का नेतृत्व किया गया था-
(1) गोविन्दगिरि गोबपालिया और पुंजा धीरजी
(2) माणक्यलाल वर्मा एवं गोविन्द गिरि
(3) जमनालाल बजाज एवं विजयसिंह पथिक
(4) गोविन्द गिरि एवं मोती लाल तेजावत
(1)
15. सुर्जी भगत राजस्थान की किस जनजाति के धार्मिक – सामाजिक सुधारक नेता थे-
(1) भील
(2) मीणा
(3) गुर्जर
(4) गरासिया
(1)
16. ‘भगत आंदोलन’ किस क्षेत्र में शुरू हुआ था?
(1) उदयपुर-चित्तौड़गढ़
(2) डूंगरपुर-बाँसवाड़ा
(3) सिरोही-पाली
(4) बाड़मेर-सिरोही
(2)
17. मेवाड़, डूंगरपुर, सिरोही, बाँसवाड़ा में स्वदेशी आन्दोलन का नेतृत्व निम्न में से किसने किया था
(1) अर्जुन लाल सेठी
(2) स्वामी गोविन्द गिरि
(3) जमनालाल बजाज
(4) दामोदर रास राठी
(2)
18. गोविन्द गुरु का प्रमुख शिष्य कौन था-
(1) पुंजा धीरजी
(2) मोतीलाल तेजावत
(3) ठाकरी पटेल
(4) तेजा धीरजी
(1)
19. भगत आंदोलन किसके द्वारा प्रारम्भ किया गया ?
(1) राजस्थान सेवा संघ
(2) भोगीलाल पांड्या
(3) भूरेलाल बया
(4) गुरू गोविन्द गिरी
(4)
20. भील एवं गरासियों को एकत्रित करने के लिये ‘सम्प सभा’ की स्थापना किसने की?
(1) मोतीलाल तेजावत
(2) भोगीलाल पांड्या
(3) गोविन्द गिरि
(4) जोरावर सिंह
(3)
21. राजस्थान का ‘जलियांवाला बाग’ के नाम से प्रसिद्ध स्थान ‘मानगढ़ धाम’ किस जिले में स्थित है?
(1) उदयपुर
(2) बाँसवाड़ा
(3) बीकानेर
(4) जोधपुर
(2)
22. गोविन्दगिरी के नेतृत्व में भील आन्दोलन को दबाने के लिए मानगढ़ का जनसंहार किस वर्ष में हुआ था?
(1) 17 नवम्बर, 1913
(2) 13 अक्टूबर, 1913
(3) 21 जनवरी, 1914
(4) 23 मार्च, 1914
(1)
23. ‘सम्पसभा’ का प्रथम अधिवेशन कब हुआ?
(1) 1885 ई.
(2) 1899 ई.
(3) 1906 ई.
(4) 1903 ई.
(4)
24. मेवाड़, वागंड और पास के क्षेत्रों के भीलों में सामाजिक सुधार के लिए ‘लसोड़िया आन्दोलन’ का सूत्रपात किसने किया ?
(1) मावजी
(2) गोविन्द गिरी
(3) सुरमल दास
(4) मोतीलाल तेजावत
(1)
25. मीणाओं ने रियासत काल में किस अधिनियम के विरूद्ध आन्दोलन किया-
(1) सतीप्रथा विरोधी अधिनियम
(2) जरायम पेशा अधिनियम
(3) बालिका वध विरोधी अधिनियम
(4) इनमें से कोई नही
(2)
26. मीणा क्षेत्रीय सभा का गठन हुआ था-
(1) 1923 ई.
(2) 1933 ई.
(3) 1935 ई.
(4) 1939 ई.
(2)
27. किसकी अध्यक्षता में मीणा जाति का एक विशाल सम्मेलन अप्रैल, 1944 में नीम का थाना में आयोजित हुआ था-
(1) शांतिसागर जी महाराज
(2) मगनसागर जी महाराज
(3) हीरालाल शास्त्री
(4) शोभालाल गुप्ता
(2)
28. शोभालाल गुप्ता द्वारा किस स्थान पर हरिजन एवं भीलों के विकास हेतु एक आश्रम की स्थापना की गई-
(1) बाँसवाडा
(2) अलवर
(3) वर्धा
(4) सागवाड़ा
(4)
29. ‘भगत आन्दोलन’ शीर्षक के नाम से पुस्तक के लेखक है-
(1) जी.एन. शर्मा
(2) वी.के. वशिष्ठ
(3) रीमा हूजा
(4) पेमाराम
(2)
मानगढ़ का विराट सम्मेलन के आन्दोलन के बारे में पढने के लिए हमारी पोस्ट देखे click here
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