पियाजे का संज्ञानात्मक सिद्धांत : बाल विकास महत्वपूर्ण MCQ

पियाजे का संज्ञानात्मक सिद्धांत : बाल विकास महत्वपूर्ण MCQ

49. गामक विकास से हमारा तात्पर्य माँसपेशियों के विकास से तथा पैरों के उचित उपयोग

[REET L-II, 2015]

(A) मस्तिष्क और आत्मा

(B) अधिगम और शिक्षा

(C) प्रशिक्षण और अधिगम

(D) शक्ति और गति

(D)

व्याख्या :

गामक कौशलों के विकास में सम्मिलित प्रमुख तीन कारक निम्नलिखित है जिस पर गामक कौशलों का विकास निर्भर करता है –

1. गति (Speed)

2. शक्ति (Strength)

3. समन्वय (Coordination)

गति कारक का मुख्य तत्व समय है।

शक्ति का विकास माँसपेशियों के विकास के साथ होता है।

समन्वय में सही से कार्य संपन्न करने और कार्य मे क्रमबद्धता का होना सम्मिलित है। अर्थात गामक विकास स्नायुमण्डल, अंगों तथा माँसपेशियों के विकास के साथ गति, शक्ति और समन्वय के रूप में होता है।

50. निम्नलिखित में से कौन सूक्ष्म चलन कौशल का उदाहरण है?

[REET L-II, 2017]

(A) चढ़ना

(B) कूदना

(C) दौड़ना

(D) लिखना

(D)

51. “बीसवीं शताब्दी को बालक की शताब्दी कहा जाता है।” यह परिभाषा दी है-

[REET L-II, 2015]

(A) मुरे

(B) एडलर

(C) क्रो व क्रो

(D) जे.बी. वॉटसन

(C)

52. इस अवस्था को मिथ्या-पक्वता (Pseudo Maturity) का समय भी कहा जाता है-

[REET L-II, 2015]

(A) शैशवावस्था

(B) बाल्यावस्था

(C) किशोरावस्था

(D) प्रौढ़ावस्था

(B)

व्याख्या : (प्रश्न 51 व 52)

क्रो एवं क्रो द्वारा 20वीं शताब्दी को बालकों की शताब्दी कहा गया है।

रॉस द्वारा बाल्यावस्था को मिथ्या पक्वता की अवस्था कहा गया है। इस अवस्था में बालक में धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता व परिपक्वता का भाव आता है। किन्तु यह आत्मनिर्भरता व परिपक्वता अपने वास्तविक आशय से दूर होती है।

53. “संवेदना ज्ञान की पहली सीढ़ी है।” यह कथन –

[REET L-II, 2015]

(A) मानसिक विकास है।

(B) शारीरिक विकास है।

(C) ध्यान का विकास है।

(D) भाषा का विकास है।

(A)

व्याख्या :

‘संवदेना ज्ञान की पहली सीढ़ी है’ उक्त पंक्ति प्रसिद्ध दार्शनिक रूसो ने कही है।

• संवेदना को मानसिक विकास का महत्त्वपूर्ण पहलू माना जाता है।

आँख, नाक, त्वचा, कान और जीभ (ज्ञानेन्द्रियाँ) के द्वारा हमें जो कुछ भी अनुभूति होती है उसे ही संवदेना कहा जाता है।

• जब इन संवदेनाओं से कोई निश्चित अर्थ निकाला जाए तो यह संवदेना प्रत्यक्षीकरण का रूप धारण कर लेती है।

मानसिक विकास के महत्वपूर्ण पहलू –
1. संवेदना और प्रत्यक्षीकरण
2. संप्रत्यय निर्माण
3. भाषा का विकास
5. तार्किक क्षमता आदि।
4. चिंतन

54. पियाजे के सिद्धांत में एक प्रक्रिया जो “पुराने” और अनुभव के बीच संतुलन क्रिया है, जाना जाता है : [REET L-I, 2017]

(A) समावेश

(B) समायोजन

(C) संतुलन

(D) ज्ञानाविघ्न

(C)

55. निम्न में से कौन पियाजे के अनुसार बौद्धिक विकास का निर्धारक तत्व नहीं है?

(A) सामाजिक संचरण

(B) अनुभव

(C) सन्तुलनीकरण

(D) इनमें से कोई नहीं

(A)

56. ‘स्कीमा’ का मतलब है-

[REET L-II, 2017]

(A) खण्डन क्रियाविधि

(B) अधिगम विधि

(C) लंबे समय के याददाश्त में सूचना के संगठित पैकेट्स का एकत्रित होना।

(D) शारीरिक प्रतिवाद क्रियाविधि ।

(C)

57. अनुभूति बच्चे और वातारवण के बीच अंतःक्रिया की निरंतर प्रक्रिया के माध्यम से विकसित होती है। यह सिद्धांत में प्रतिबिंबित होता है :

[REET L-I, 2017]

(A) थॉर्नडाइक अधिगम सिद्धांत

(B) पियाजे संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत

(C) टोलमैन संकेत अधिगम

(D) कोहलर अधिगम सिद्धांत

(B)

58. बालकों की सोच अमूर्तता की अपेक्षा मूर्त अनुभवों एवं प्रत्ययों से होती है। यह अवस्था है-

(A) 7 से 12 वर्ष तक

(B) 12 से वयस्क तक

(C) 2 से 7 वर्ष तक

(D) जन्म से 2 वर्ष तक।

(A)

59. ___बाल्यावस्था के दौरान अपने तथा दूसरों के नजरिए में फर्क करने में अयोग्यता को दर्शाता है । | REET L-II, 2017]

(A) केन्द्रस्थ (सेन्ट्रीसिज्म)

(B) आत्म केन्द्रस्थ (इगो सेन्ट्रीसिज्म)

(C) जणात्मवाद (एनीमीज्म)

(D) इनमें से कोई नहीं

(B)

60. “एक विशेष स्तर पर बच्चे मौलिक तर्क का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं तथा सभी प्रकार के प्रश्नों का जवाब जानना चाहते हैं।” पियाजे ने इसे ‘अंतर्ज्ञान’ कहा है। पियाजे के अनुसार, निम्न में से कौन-से चरण का यह अर्थ है? [ REET L-II, 2017]

(A) साकार संचालन

(B) पूर्व-संचालन

(C) औपचारिक संचालन

(D) उपरोक्त कोई भी नहीं

(B)

61. जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की अंतिम अवस्था कौन-सी है?

[REET L-I, 2021]

(A) संवेदिक पेशीय अवस्था

(B) अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था

(C) उत्तर संक्रियात्मक अवस्था

(D) मूर्त संक्रियात्मक अवस्था

(B)

62. जब हम वर्तमान ‘स्कीमा’ का प्रयोग बाह्य जगत् के विश्लेषण हेतु करते हैं, तब उसे कहा जाता है? [REET L-II, 2021]

(A) आत्मसात्मीकरण

(B) सम्बन्ध

(C) अनुकूलन

(D) संतुलन

(A)

63. पियाजे के अधिगम के संज्ञानात्मक सिद्धांत के अनुसार वह प्रक्रिया जिसके द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को संशोधित किया जाता है, कहलाती है-

[REET L-II, (16 Oct.) 2021]

(A) स्कीमा

(B) प्रत्यक्षण

(C) समायोजन

(D) समावेशन

(C)

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास :

पियाजे की आधारभूत धारणाएँ –

1. स्कीम्स (Schemes):

अलग-अलग संदर्भों में लेकिन एक सी स्थितियों में बार-बार लागू होने पर जो क्रिया व्यापक और बेहतर होती जाती है उसे स्कीम कहते हैं। अर्थात् स्कीम व्यवहारों का एक संगठित पैटर्न होता है जिसे आसानी से दोहराया जा सकता है।

उदाहरणार्थ बालक का स्कूल जाने से पूर्व तैयार होना। यह एक तयशुदा रूटीन के अनुसार होता है, जैसे स्कूल ड्रेस पहनना, जूते पहनना, बैग उठाना आदि उसके व्यवहार में शामिल संगठित पैटर्न है।

2. स्कीमा (Schema):

किसी विषय पर ज्ञान का संगठित समूह जो कि लम्बे समय की याददाश्त (Long time memory) में एकत्रित होते हैं।

अनुभव से सही अर्थ निकालने का व्यवस्थित तरीका

स्कीमा व्यक्ति की विश्व के विभिन्न पक्षों, रूपों के बारे में उसके ज्ञान एवं धारणाओं को अभिव्यक्त करने वाली संरचनाएँ होती है।

स्कीमा में किसी व्यक्ति की किसी अवधारणा व उसके गुणों के प्रति समझ का रेखाचित्र प्रस्तुतीकरण किया जाता है।

स्कीम व स्कीमा में समायोजन व परिवर्तन के जरिए विस्तार होता है।

स्कीमा एक ऐसी मानसिक क्रिया है जिसका सामान्यीकरण किया जा सकता है।

3. अनुकूलन (Adaptation):

बालक एवं उसके वातावरण के मध्य चलने वाली परस्पर क्रिया द्वारा समतुल्यन अर्थात् इसमें बालक वातावरण के साथ सीधे पारस्परिक क्रिया-प्रतिक्रिया द्वारा योजना निर्माण कर लेता है।

इसमें दो परस्पर पूरक गतिविधियाँ सम्मिलित रहती है –

1. समावेशीकरण/आत्मसातीकरण (Assimilation)

2. समायोजन/समाविष्टीकरण (Accomodation)

समावेशीकरण/आत्मसातीकरण/आत्मीकरण (Assimilation) :

• मौजूदा ज्ञान (स्कीमा) में नई जानकारी को शामिल करने की प्रक्रिया।

सांवेगिक सूचना और संचित ज्ञान के मध्य सामंजस्य स्थापित करना।

अर्थात् इसमें बालक के सामने यदि कोई नयी समस्या आए तो उसके समाधान हेतु वह अपने मन में पूर्व में विद्यमान स्कीमा का प्रयोग करके नये ज्ञान को उसी में समाविष्ट कर देता है।

उदाहरणार्थ – एक 2 वर्षीय बालक ने विभिन्न प्रकार की बिल्लियाँ देखी और इसी आधार पर बिल्ली के प्रति एक स्कीमा बनाया जैसे चार छोटे पैरों वाला पशु। अब उसी बालक ने पहली बार कुते का पिल्ला देखा और समावेश द्वारा उसे इसी स्कीमा में डाल दिया।

समायोजन (Accomodation):

• मौजूदा ज्ञान (स्कीमा) को संशोधित करते हुए उसमें नई जानकारी तथा अनुभवों का समायोजन।
• इसमें किसी नयी समस्या के समाधान हेतु अपने मन में पूर्व में विद्यमान स्कीमा का प्रयोग न करके उसमें संशोधन करते हुए एक नये स्कीमा का निर्माण होता है।

उदाहरण – यदि बालक का सामना बार-बार कुते के पिल्ले से होगा तो उसे बिल्ली व कुते में अंतर का ज्ञान होगा।
इस प्रकार वह इन नये अनुभवों के आधार पर पिल्ले के विषय में एक अन्य स्कीमा विकसित कर लेता है।

4. साम्यधारण/संतुलीकरण (Equilibration):

• संतुलनीकरण से बालक समावेशीकरण व समायोजन की प्रक्रिया के मध्य एक संतुलन कायम करता है अर्थात् यह बालक द्वारा अपनी संज्ञानात्मक संरचनाओं को स्थिर करने का प्रयास है।

पियाजे के अनुसार यदि बालक के सामने ऐसी परिस्थिति या समस्या आ जाये जिसका उसने कभी सामना ही नहीं किया हो तो एक प्रकार की संज्ञानात्मक असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है जिसे संतुलित करने के लिए वह समावेशीकरण या समायोजन अथवा दोनों ही प्रक्रियाएँ करना प्रारंभ कर देता है।

साम्यधारण/संतुलीकरण ‘पुरानी’ और ‘नयी’ धारणाओं और अनुभव के मध्य संतुलन क्रिया है।

पियाजे ने अनुभव व संतुलनीकरण को संज्ञानात्मक विकास के निर्धारक तत्वों में माना है।

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